Learn about Bapa Rawal, the mighty ruler of Mewar who captured the Chittor fort and built the magnificent Eklingji temple. Discover his military campaigns and titles that signify his bravery and devotion to the Hindu religion. Explore his remarkable achievements and legacy that continue to inspire generations in Indian history.
What is the real name of Bappa Rawal? Who was Bappa Rawal and what was his contribution?
Bappa Rawal, also known as Kalabhoj, was a legendary Hindu Suryavanshi ruler who reigned from 734-753. According to Gaurishankar Hirachand Ojha, he was a disciple of the Harit Rishi, who blessed him with the power to defeat Man Maurya and capture the Chittor fort, as mentioned in the Raj Prasasti. His capital was Nagda, which is now part of Udaipur in Rajasthan.
Bapa Rawal was not only a great warrior, but also a devout Hindu. He built the magnificent Eklingji temple in Kailashpuri, Udaipur, which became a significant religious site for the Mewar dynasty. The rulers of Mewar considered themselves to be the Diwan of Eklingji, which highlights the importance of religion in the Mewar kingdom.
Who was defeated by Bappa Rawal?
Bapa Rawal’s military achievements were remarkable. He went on a military campaign to Ghazni in Afghanistan, where he defeated the Muslim army and removed the ruler Salim, replacing him with his own nephew. His bravery and military tactics were compared to that of ‘Charles Martel,’ the French general who first defeated Muslims in Europe. His gold coins, weighing 115 grains, were widely used in his kingdom.If you are in the market for superclone Replica Rolex , Super Clone Rolex is the place to go! The largest collection of fake Rolex watches online!
Bapa Rawal’s conquests were not limited to India alone. The city of Rawalpindi in Pakistan was named after his military base, which shows his influence beyond the borders of his kingdom. He was also known by the title of Rajguru, which signifies his role as an advisor to the rulers of Mewar. Another title given to him was Chakkavai, which means ‘conqueror of all four directions.’
Bapa Rawal’s legacy lives on as a symbol of bravery, devotion, and military prowess. His contributions to the Mewar kingdom continue to inspire generations, and his remarkable achievements have earned him a prominent place in Indian history
Question-Related To Bappa Rawal:
- Who was Bapa Rawal and what was his real name?
- Which fort did Bapa Rawal capture with the blessing of Harit Rishi?
- What was the significance of the Eklingji temple built by Bapa Rawal?
- Where did Bapa Rawal go on a military campaign and what was his achievement there?
- What titles were given to Bapa Rawal for his contributions to the Mewar kingdom?
मेवाड़ के शक्तिशाली शासक बापा रावल के बारे में जानें, जिन्होंने चित्तौड़ किले पर कब्जा कर लिया और भव्य एकलिंगजी मंदिर का निर्माण किया। उनके सैन्य अभियानों और उपाधियों की खोज करें जो उनकी बहादुरी और हिंदू धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और विरासत का अन्वेषण करें जो भारतीय इतिहास में पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं
बप्पा रावल का असली नाम क्या है?
बप्पा रावल, जिन्हें कलाभोज के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध हिंदू सूर्यवंशी शासक थे, जिन्होंने 734-753 तक शासन किया। गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार, वह हरित ऋषि के शिष्य थे, जिन्होंने उन्हें मान मौर्य को हराने और चित्तौड़ किले पर कब्जा करने की शक्ति का आशीर्वाद दिया था, जैसा कि राज प्रशस्ति में उल्लेख किया गया है। उनकी राजधानी नागदा थी, जो अब राजस्थान में उदयपुर का हिस्सा है।
बापा रावल न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक धर्मनिष्ठ हिंदू भी थे। उन्होंने उदयपुर के कैलाशपुरी में शानदार एकलिंगजी मंदिर का निर्माण किया, जो मेवाड़ राजवंश के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया। मेवाड़ के शासक स्वयं को एकलिंगजी का दीवान मानते थे, जो मेवाड़ साम्राज्य में धर्म के महत्व पर प्रकाश डालता है।
बप्पा रावल ने किसे हराया था?
बापा रावल की सैन्य उपलब्धियाँ उल्लेखनीय थीं। वह अफगानिस्तान में गजनी के लिए एक सैन्य अभियान पर गया, जहां उसने मुस्लिम सेना को हराया और शासक सलीम को हटा दिया, उसके स्थान पर अपने भतीजे को नियुक्त किया। उनकी बहादुरी और सैन्य रणनीति की तुलना ‘चार्ल्स मार्टेल’ से की गई, जो कि फ्रांसीसी जनरल था जिसने यूरोप में मुसलमानों को पहली बार हराया था। उसके सोने के सिक्के, जिनका वजन 115 ग्रेन था, उसके राज्य में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते थे।
बापा रावल की विजय केवल भारत तक ही सीमित नहीं थी। पाकिस्तान में रावलपिंडी शहर का नाम उनके सैन्य अड्डे के नाम पर रखा गया था, जो उनके राज्य की सीमाओं से परे उनके प्रभाव को दर्शाता है। उन्हें राजगुरु की उपाधि से भी जाना जाता था, जो मेवाड़ के शासकों के सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाता है। उन्हें दी गई एक और उपाधि चक्कावई थी, जिसका अर्थ है ‘चारों दिशाओं का विजेता।’
बापा रावल की विरासत बहादुरी, भक्ति और सैन्य कौशल के प्रतीक के रूप में जीवित है। मेवाड़ साम्राज्य में उनका योगदान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहा है, और उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक प्रमुख स्थान दिलाया है
बप्पा रावल से संबंधित प्रश्न:
- बापा रावल कौन थे और उनका असली नाम क्या था?
- हरित ऋषि के आशीर्वाद से बापा रावल ने किस किले पर अधिकार कर लिया?
- बापा रावल द्वारा बनवाए गए एकलिंगजी मंदिर का क्या महत्व था?
- बापा रावल सैन्य अभियान पर कहाँ गए थे और वहाँ उनकी क्या उपलब्धि रही?
- मेवाड़ साम्राज्य में उनके योगदान के लिए बापा रावल को कौन सी उपाधि दी गई थी?